सर्दियों में हड्डियों की परेशानियों से है बचना, तो बच्चों से लेकर बूढ़े तक अपनाएं ये आसान नुस्खे

सर्दियों में हड्डियों की परेशानियों से है बचना, तो बच्चों से लेकर बूढ़े तक अपनाएं ये आसान नुस्खे

सेहतराग टीम

स्वस्थ जीवन जीना है तो शरीर का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है और स्वस्थ शरीर के लिए शरीर के सभी अंगों का मजबूत होना बहुत जरूरी है। जैसे हड्डियां, क्योंकि हड्डियां एक स्वस्थ शरीर का महत्वपूर्ण भाग होता है। हड्डियां हमारे शरीर का एक ढांचा और संरचना बनाती हैं इसके साथ ही ये शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को सुरक्षित रखती हैं। हड्डियां कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे खनिजों के भंडारण व मांसपेशियों को गति प्रदान करने के लिए भी सहायक है। इसलिए स्वस्थ जीवन जीने जे लिए हड्डियों का मजबूत होना बहुत जरूरी है। आज के समय बड़े शहरों में सर्द मौसम में प्रदूषण के चलते लोगों तक सूरज की किरणों से मिलने वाला विटामिन डी की कम ही पहुंच पाती है। जिस वजह से लोगों में विटामिन डी की भरी कमी देखी जा रही है। आज आलेख में जानिए कि इस बारे में एक्सपर्ट का क्या कहना है। एक्सपर्ट के अनुसार दिन में किस समय धुप सेंकना शरीर के लिए सबसे उचित होता है और विटामिन डी कमी को किन-किन स्रोतों से पूरा कर सकते हैं जिससे हड्डियां मजबूत रहें।

कम से कम 15 धुप का सेवन करें-

एक्सपर्ट के अनुसार रोज शरीर के खुले हुए हिस्सों यानी हाथ व पैरों से कम से कम 15 मिनट तक धुप का सेवन करने से अच्छी मात्रा में विटामिन डी शरीर को मिल जाती है।

किस समय करें धुप का सेवन-

इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि आमतौर लोग सोचते हैं कि सुबह की धुप और शाम की धुप शरीर के ज्यादा फायदेमंद होती है। लेकिन ऐसा है नहीं क्योंकि सुबह और शाम की बजाय सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे के बीच धुप का सेवन करने से शरीर को अच्छी मात्रा में विटामिन डी मिलती है।

पर्याप्त मात्रा में धुप न मिलने पर इनका सेवन करें-

खासकर उन शहरों के लोगों को जहां प्रदूषण की वजह से धुप नहीं पहुंच पाती है। इसलिए वहां के लोग को दूध से बने उत्पादों व आहार के जरिए विटामिन डी का सेवन कर सकते हैं। महिलाओं में विशेष रूप से प्री-मेनोपॉजल और पोस्ट-मेनोपॉजल की श्रेणी की महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोमलेशिया होने की संभावना होती है। वहीं खुद को पूरी तरह से ढकने वाली महिलाओं व सनक्रीम लगाने वाली महिलाओं में भी विटामिन-डी की मात्रा काफी कम होती है, क्योंकि उनकी त्वचा के अंदर धूप प्रवेश नहीं कर पाता है। वहीं बच्चों में विटामिन डी की कमी से रिकेट्स की समस्या होने लगती है।

अगर धूप नहीं तो इनका करें सेवन-

दिल्ली जैसे शहर, जहां प्रदूषण के कारण लोगों तक धूप नहीं पहुंच पाती है, वहां लोग दुग्ध उत्पादों व आहार के जरिए विटामिन डी का सेवन कर सकते हैं. महिलाओं में विशेष रूप से प्री-मेनोपॉजल और पोस्ट-मेनोपॉजल की श्रेणी की महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोमलेशिया होने की संभावना होती है. वहीं खुद को पूरी तरह से ढकने वाली महिलाओं व सनक्रीम लगाने वाली महिलाओं में भी विटामिन-डी की मात्रा काफी कम होती है, क्योंकि उनकी त्वचा के अंदर धूप प्रवेश नहीं कर पाता है। वहीं बच्चों में विटामिन डी की कमी से रिकेट्स की समस्या होने लगती है।

बच्चों को लेकर यह खास सावधानी बरतें-

बच्चों के लिए शुरुआत में ही पर्याप्त आहार के साथ-साथ अच्छी धूप का सेवन करना बहुत आवशयक होता है। खास कर उन बच्चों को जिन्होंने मां का दूध पीना छोड़ दिया है, उन्हें विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कराना आवश्यक है। वहीं सर्दियों में हड्डियों को स्वस्थ रखने में अच्छी मात्रा में कसरत करने से भी फायदा मिलता है। कसरत से हड्डियों का घनत्व बना रहता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।

 

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